Mineral
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in Jharkhand.-
hindi notes
झारखण्ड में
खनिज संसाधन।
झारखण्ड को भारत का रुर क्यों बोला जाता हैं?
Why is Jharkhand called the ruler of India?
झारखण्ड खनिज संसाधन की दृष्टि से भारत का अग्रणी राज्य है । -झारखण्ड को ' भारत का रुर ' कहा जाता है । झारखंड में खनिजों की विपुल भंडारण होने के कारण इसे भारत का रूर कहा जाता है देश का कुल 40 % खनिज उत्पादन अकेले झारखण्ड में होता है।
जिसका वर्गीकरण इस प्रकार है :
पायराट 93% अभ्रक58%
कोयला 40 % लौह अयस्क 19%
- बॉक्साइट 32%
- ग्रेफाइट 33%
- तांबा 33%
- कायनाइट 30 %
विभिन्न खनिजों
को दृष्टि से
झारखण्ड का
देश में स्थान➡️
- प्रथम स्थान =पायराइट , अभ्रक, कोयला , यूरेनियम
- द्वितीय स्थान =फास्फेट , तांबा , कोबाल्ट
- तृतीय स्थान =ग्रेफाइट , कायनाइट
- चतुर्थ स्थान= फायर क्ले
- पंचम स्थान= लौह अयस्क
झारखण्ड में
धात्विक खनिज
[1.]लौह धात्विक खनिज Iron Metallic Minerals
लौह अयस्क सिंहभूम जिला लौह अयस्क की प्राप्ति का प्रमुख केन्द्र है जिसका विस्तार उडीसा के मयूरभंज एवं क्योंझोर तक है । यह विश्व का सर्वाधिक लौह भंडार वाला क्षेत्र है । झारखण्ड में सर्वाधिक लौह अयस्क वाला जिला पश्चिमी सिंहभूम है । यहाँ नोवामुण्डी की खान एशिया में लौह अयस्क की सबसे बड़ी खान है ।
पश्चिमी सिंहभूम का चिरिया ' नामक स्थान भी लौह अयस्क के भहार की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है । लौह अयस्क भंडार की दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा निक्षेप है । यहाँ लगभग 200 मिलियन टन लौह अयस्क के भंडार हैं । यहाँ से हेमेटाइट वर्ग का लौह अयस्क उत्पादित किया जाता है जिसमें 60 % से 68 % तक लोहे का अश होता है । झारखण्ड में उपलब्ध कुल लौह अयस्क का 99 % हेमेटाइट वर्ग का लौह अयस्क है ।
[2. ]क्रोमाइट »
झारखण्ड में क्रोमाइट का मुख्य संकेंद्रण सिंहभूम के जोजोहात् तथा सरायकेला क्षेत्र में है । .. इसका उपयोग इस्पात बनाने में होता है ।
[3.] मैंगनीज
झारखण्ड में मैंगनीज के भंडार काफी कम हैं । कालेन्टा , पहाड़पुर एवं बन्साडेरा में मैंगनीज के प्रमुख खान हैं । मैगनीज का प्रयोग इस्पात बनाने , सूखी बैटरी व रसायन उद्योग में होता है । यह धारवाड़ चट्टानों से प्राप्त होता है ।
[4. ]जस्ता
यह संथाल परगना , हजारीबाग , पलामू , राँची एवं सिंहभूम जिले में पाया जाता है ।
[5 ] टिन
यह हजारीबाग एवं राँची में पाया जाता है ।
( B ) अलौह
धात्विक
खनिज।
Non-ferrous
metallic minerals.
[1.] तांबा
तांबा के उत्पादन की दृष्टि से झारखण्ड भारत का अग्रणी राज्य है । झारखण्ड में सिंहभूम के बोसबनी , धोबनी , सुरादा एवं घाटशिला ताबा उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं । इसका उपयोग बिजली के उपकरणों , धातु मिश्रण आदि में किया जाता है ।
[2.]बॉक्साइट
झारखण्ड में उच्च कोटि का बॉक्साइट पाया जाता है जिसमें 52 % से 55 % तक एलुमिनियम होता है । यह राँची पठार , पलामू के पाट क्षेत्र तथा लोहरदगा जिले में मिलता है । बॉक्साइट से एलुमिनियम निकाला जाता है ।
[3.] टंगस्टन
इसका उपयोग बिजली के उपकरण बनाने में किया जाता है । यह हजारीबाग जिले में पाया जाता है ।
📔झारखण्ड में
अधात्विक खनिज।
Non-metallic
minerals in
Jharkhand.
[1.] अभ्रक ( Mica )
भारत में अभ्रक का सर्वाधिक भण्डार झारखण्ड में है । , कोडरमा जिला का झुमरी तिलैया अभ्रक का प्रमुख क्षेत्र है । कोडरमा को ' भारत की अभ्रक राजधानी ' कहा जाता है । ' झारखण्ड में उच्च कोटि का सफेद अभ्रक पाया जाता है जिसे ' रूबी अभ्रक ' कहा जाता है । इसकी गुणवत्ता के कारण इसकी वैश्विक स्तर पर अधिक मांग है । झारखण्ड में उत्पादित कुल अभ्रक का 90 % भाग निर्यात कर दिया जाता है । अभ्रक का उपयोग बिजली के उपकरण , औषधि , सजावट उपकरण , अग्निरोधक सामग्री आदि के निर्माण में किया जाता है ।
[2.]कायनाइट
झारखण्ड में कायनाइट का सबसे बड़ा भण्डार सिंहभूम के लिप्साबुरू क्षेत्र में है । सिंहभूम के राजखरसावा के निकट इसका उत्पादन भारतीय तांबा निगम द्वारा किया जाता है । यह ताप सहन करने वाला खनिज है ।
[3.]ग्रेफाइट
यह पलामू में सर्वाधिक पाया जाता है । यह कार्बन का एक रूप है जिसे काला सीसा भी कहा जाता है । इसका उपयोग उच्च तापसह्य उद्योगों ( Refractory Industry ) में किया जाता है ।
[4.]चूना पत्थर
यह हजारीबाग , राँची सिंहभूम एवं पलामू में पाया जाता है । इससे सिमेंट बनाया जाता है ।
[ 5] डोलोमाइट
पलामू जिला के डाल्टनगंज ( मेदिनीनगर ) में डोलोमाइट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है । इसका उपयोग कागज , सीसा , लौह इस्पात , सीमेंट आदि उद्योगों में होता है ।
[6.] एस्बेस्टस
यह राँची एव सिंहभूम जिले में पाया जाता है । यह छत बनाने के काम में प्रयुक्त होता है । होता है ।
[7.]बैटोनाइट
यह एक एलुमीनियम सिलिकेट मिट्टी है , जिसका निर्माण ज्वालामुखी के राख से होता है । इसका प्रयोग निर्माण तथा अभियांत्रिकी में किया जाता है । यह राज्य के साहेबगंज में पाया जाता है ।
झारखण्ड में ऊर्जा खनिज Energy Minerals in Jharkhand:➡️
1. कोयला
झारखण्ड भारत में सर्वाधिक कोयला उत्पादक राज्य है । देश का 40 % कोयला उत्पादन यहाँ होता है ।
राज्य के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 95 % उत्पादन दामोदर घाटी कोयला क्षेत्र में होता है । दामोदर घाटी कोयला क्षेत्र कोकिंग कोल का शत - प्रतिशत उत्पादन करता है । झारखण्ड में सर्वप्रथम कोयला खनन का काम दामोदर घाटी निगम क्षेत्र के अंतर्गत झरिया ' में आरंभ हुआ । झरिया ( धनबाद ) में कोयला का सर्वाधिक भंडार है तथा यहाँ से कोयला का सर्वाधिक उत्पादन होता है । झरिया पूरे झारखण्ड के कोयला उत्पादन का 60 % कोयला उत्पादन करता है । झरिया क्षेत्र भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के अंतर्गत आता है । राउरकेला के इस्पात कारखाने को बोकारो से कोयले की आपूर्ति की जाती है । झारखण्ड में बिटुमिनस एवं एनेसाइट दानों किस्मों का कोयला पाया जाता है । बिटुमिनस कोयले में 78 % से 86 % तक कार्वन का अंश होता है जबकि एंथ्रेसाइट कोयले में 94 % से 98 % तक कार्बन का अंश होता है।
झारखण्ड को खनिजों से प्राप्त कुल राजस्व का 75 % हिस्सा केवल कोयले से प्राप्त होता है । उत्पादन की दृष्टि से झारखण्ड का सबसे बड़ा कोयला की खान झरिया तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा कोयले की खान कर्णपुरा है । झारखण्ड में रूस की सहायता से संचालित कोयला परियोजना : झरिया से कुमारी ओ.सी.पी कोयला क्षेत्र तक का विकास झरिया से सीतानाला कोयला क्षेत्र तक का विकास
💥 झारखण्ड में विश्व बैंक की सहायता से संचालित कोयला परियोजना : World Bank assisted coal project in Jharkhand➡️
1. झरिया कोकिग कोयला परियोजना
2.रजरप्पा परियोजना
3.राजमहल परियोजना
4.दामोदर परियोजना
5.कतरास परियोजना।
[ 2. ]प्राइम कोकिंग कोल
झारखण्ड राज्य देश में प्राइम कोकिंग कोल का एकमात्र उत्पादक है ।
[ 3.] यूरेनियम यह एक आण्विक खनिज है । झारखण्ड के जादूगोड़ा ' , धालभूमगढ़ , बागजत , केरूआ डुमरी आदि क्षेत्रों में यह खनिज पाया जाता है । पूर्वी सिंहभूम के जादूगोड़ा में यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया द्वारा यूरेनियम की खुदाई की जा रही है । जादूगोड़ा के के पश्चिम में स्थित तुरामडीह में भी यूरनियम का खनन किया जाता है ।
[4.] बोरियम
यह एक आण्विक खनिज है । झारखण्ड के राँची पठार और धनबाद में इसका विस्तार है ।
[5. ]इल्मेनाइट
यह एक आण्विक खनिज है । यह रांची में पाया जाता है । इसका प्रयोग अतरिक्ष यान तथा टाइटेनियम बनाने में होता है ।
💥झारखण्ड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड
Jharkhand State Mineral Development Corporation Limited
संसाधनों के विकास एवं उनके समुचित उपयोग के उद्देश्य से झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड जेएसएमडीसी (JSMDC) का गठन किया गया है।
झारखण्ड राज्य खनिज विकास निगम द्वारा राज्य के विभिन्न स्थानों पर कई परियोजनाओं को स्थाना की गयी है , जिसका विवरण निम्नवत् है।
1 . सिकनी कोयला परियोजना सिकनी, लातेहार
2 बेंती - वगड़ा चूना पत्थर परियोजना पतरातू, राँची
3 कायनाइट परियोजना बहरागोड़ा, पूर्वी सिंहभूम
4 सेमरा - सलतुआ चूना पत्थर परियोजना डालटनगंज, पलामू
5 . विश्रामपुर ग्रेफाइट परियोजना विश्रामपुर, पलामू
6 चहुला सिमलगोड़ा स्टोन चिप्स परियोजना, बरहरवा साहेबगंज
7 . ग्रेनाइट पालिशिंग उद्योग तुपुदाना रांची ।
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