झारखण्ड की कृषि, notes [Agriculture of Jharkhand]
प्रस्तावना -
कृषि एक प्राथमिक क्रिया है जिसमें फसलों , फलों , सब्जियों , फूलों को उगाना और पशुपालन की क्रिया सम्मिलित है ।
अनुकूल स्थलाकृति मृदा और जलवायु , कृषि क्रियाकलापों के लिये अनिवार्य है । कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओ के उदय का कारण बना।
कृषि के प्रकार [Types of agriculture]
1.निर्वाह कृषि -
[Subsistence farming]
• पारंपरिक रूप से कम उपज पैदा करने वाली निम्न स्तरीय प्रौद्योगिकी और पारिवारिक श्रम के उपयोग द्वारा कृषक परिवार के भरण - पोषण भर उत्पादन होता है । गहन निर्वाह कृषि
• छोटे भूखंड पर साधारण तरीके और अधिक श्रम द्वारा खेती की जाती है ।
• मुख्य फसल चावल के अलावा गेहूँ , मक्का , दलहन , तिलहन का भी उत्पादन ।
• दक्षिणी , द . - पूर्वी एशिया वाले सघन जनसंख्या प्रदेशों में प्रचलित ।
• इसमें स्थानांतरी कृषि और चलवासी पशुचारण शामिल है ।
• स्थानांतरी कृषि : वृक्षों को काटकर एवं जलाकर साफ किये गए भूखंडों पर मक्का , आलू आदि की खेती ।
• अमेजन बेसिन एवं उत्तर - पूर्वी भारत के क्षेत्र में स्थानांतरी कृषि प्रचलित ।
• चलवासी पशुचारण : पशुचारक अपने पशुओं के साथ चारे और पानी के लिये विभिन्न स्थानों पर घूमते रहते हैं ।
2.वाणिज्यिक कृषि
[Commercial farming]
• फसल उत्पादन एवं पशुपालन बाज़ार में विक्रय हेतु किया । और जाता है ।
• इसमें विस्तृत कृषि क्षेत्र , अधिक पूंजी तथा मशीनों का उपयोग किया जाता है ।
→ वाणिज्यिक अनाज कृषिः इसमें केवल एक ही फसल वाणिज्यिक उद्देश्य से उगाई जाती है । गेहूँ एवं मक्का इसके सामान्य उदाहरण है ।
→ मिश्रित कृषिः भूमि का उपयोग भोजन व चारे की फसले उगाने तथा पशुपालन हेतु किया जाता है ।
रोपण कृषिः यह वाणिज्यिक कृषि का एक प्रकार है जहाँ चाय , कहवा , काजू , रबड़ , केला अथवा कपास की एकल फसल उगाई जाती है । इसमें परिवहन जाल के विकास की आवश्यकता होती है।
---कृषि के अन्य प्रकार ---
[Other types of agriculture]
1.जुताई रहित कृषि [Tillage farming]
( No - Till Farming / Zero Tillage )
2.जैविक कृषि ( Organic Farming )
3.ले क़ृषि ( Ley Farming or Alternate husbandry )
1."झारखण्ड की कृषि"
[Agriculture of Jharkhand]
हमारे झारखण्ड राज्य की 75 प्रतिशत की आबादी कृषि एवं संबंधित प्रक्षेत्र पर निर्भर है। झारखण्ड की कुल भूमि के मात्र 23 % भाग पर कृषि कार्य किया जाता है। ऋण के बोझ से दबे किसान, जिनकी आय का एक बड़ा हिस्सा ऋण चुकाने में ही चला जाता है, इसके लिए राज्य सरकार ने अल्पकालीन कृषि
ऋण राहत योजना शुरू करने का निर्णय लिया है।
आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 में इसमें राशि 2,000 करोड़ रुपये (दो हजार करोड़ रुपये) का बजटीय उपबंध प्रस्तावित है।
धान की उत्पादकता (पैदावार) को बढ़ावा देने एवं किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए झारखण्ड सरकार ने धान उपार्जन के तहत धान उत्पादन एवं बाजार सुलभता नाम की एक नई योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। इस प्रकार आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल राशि 200 करोड़ रुपये (दो सौ करोड़ रुपये)का बजट उपबंध किया गया है।
ग्रामीण आबादी की कुल श्रम - शक्ति का 67%% कृषि पर आश्रित है । वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार झारखण्ड में 38 लाख हेक्टेयर भूमि पर कृषि कार्य संभव है जो कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 47.71 है । झारखण्ड में मुख्यतः तीन फसलों- धान , गेहूँ तथा मक्का की खेती की जाती है । धान झारखण्ड की सर्वप्रमुख फसल है तथा मक्का यहाँ को दूसरी प्रमुख फसल है । सिचाई के साधनों की कमी के कारण यहाँ की कृषि वर्षा पर आधारित है । राज्य में शुद्ध बोये गये कृषि क्षेत्र के मात्र 12.77 % पर ही सिंचाई सुविधा उपलब्ध है ।
राज्य में सिंचाई का सर्वप्रमुख स्रोत कुआं है । झारखण्ड में कृषि के उन्नत तकनीकों का वृहद् प्रयोग संभव नहीं हो पाया है । इसका प्रमुख कारण उबड़ - खाबड़ खेत जोतों का छोटा आकार एवं बजर जमीन है । राज्य में लगभग 14.79 % परती पायी जाती है । राज्य में जोतों का औसत आकार प्रति व्यक्ति मात्र 1.17 हेक्टेयर है । राज्य में कुल बोये गये क्षेत्र के 60 % हिस्से पर धान की खेती की जाती है । राज्य की लगभग 78 % जनसंख्या कृषि कार्य में संलग्न है । झारखण्ड राज्य के 17 जिले राष्ट्रीय बागवानी मिशन से आच्छादित हैं । राज्य के हजारीबाग जिले में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ( ICAR ) नई दिल्ली द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ( ILAR ) की स्थापना प्रस्तावित है ।
झारखण्ड की फसल रबी फसल और खरीफ फसल की मानसून के आगमन के समय अर्थात् जून - जुलाई में इन फसलों की बुआई की जाती है तथा मानसून की समाप्ति पर अर्थात् सितम्बर - अक्टूबर में इनकी कटाई की जाती है ।
प्रमुख खरीफ फसल=
धान , मक्का , ज्वार , बाजरा , मूंग , मूंगफली , गन्ना आदि हैं । बरोफ फसल को झारखण्ड में दो फसलों में बांटा जाता है - भदई तथा अगहनी ।
भदई फसल वैशाख- जेठ ( मई - जून ) में बोयो जाती है तथा इसे भादो ( अगस्त - सितंबर ) में काट लिय अगहनी फसल को बुआई जेठ - आषाढ़ ( जून ) में की जाती है तथा अगहन ( दिसम्बर ) में इसको कटर कर ली जाती है । झारखण्ड की कुल कृषिगत भूमि में से लगभग 70 % भाग पर अगहनी फसलों को कृषि की जाती भदई फसल की कृषि लगभग 20 % भाग पर की जाती है । रबी फसल रबी फसल को ठंडे मौसम की फसल या वैशाखो फसल भी कहा जाता है । रबी फसल अक्टूबर - नवंबर में बोयी जाती है तथा मार्च में काट ली जाती है । गेहूँ , जौ , चना , तिलहन आदि प्रमुख रबी फसलें हैं । झारखण्ड की कुल कृषिगत भूमि के लगभग 10 % भाग पर रबी फसल की खेती की जाती है । राज्य का अधिकांश क्षेत्र पठारी होने के कारण गेहूँ तथा जौ की कृषि बारी भूमि या सिंचाई साधा युक्त क्षेत्रों में ही की जाती है ।
>>>>>>>>------ झारखण्ड की प्रमुख फसलें ------<<<<<<<<
1.धान / चावल -
प्रमुख उत्पादन क्षेत्र महत्वपूर्ण बातें सिंहभूम , राँची , गुमला . दुमका यह झारखण्ड में सर्वाधिक उत्पादित की जाने वाली फसल है तथा राज्य की सर्वप्रमुख खाद्य फसल है । * झारखण्ड के कुल धान उत्पादन का 50 % इन क्षेत्रों में होता है ।
2.मक्का --
प्रमुख उत्पादन क्षेत्र महत्वपूर्ण बातें पलामू , हजारीबाग , गिरिडीह , साहेबगंज यह राज्य की दूसरी सर्वाधिक उत्पादित की जाने वाली फसल है । मक्का उत्पादन की दृष्टि से पलामू जिला का प्रथम स्थान है । इसके बाद क्रमशः हजारीबाग एवं गिरिडीह का स्थान है ।
3.गेहूँ -
पलामू , हजारीबाग , गोड्डा उत्पादन की दृष्टि से राज्य की फसलों में इसका तीसरा स्थान है । गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से राज्य में प्रथम स्थान पलामू का है । इसके बाद क्रमशः हजारीबाग एवं गोड्डा का स्थान है ।
4. दलहन - तिलहन - पलामू में सर्वाधिक उत्पादित की जाने वाली फसल हैं।
5.गन्ना --- झारखंड के हजारीबाग, पलामू, दुमका, गोड्डा जिलों में गन्ने की खेती होती है। यह राज्य की प्रमुख नकदी फसल है।
6.मडुआ--- रांची , हजारीबाग , गिरिडीह
यह एक जायद फसल है ।
7.जौ ----- पलामू , साहेबगंज , हजारीबाग , सिंहभूम।
8.ज्वार - बाजरा ----
हजारीबाग , राँची , सिंहभूम , संथाल परगना क्षेत्रों मुख्यता इनका उत्पादन होता है।
झारखण्ड की कृषि, notes [Agriculture of Jharkhand]
।।।। झारखण्ड राज्य की कृषि प्रदेशो का संछिप्त विवरण ।।।।
1.कृषि प्रदेश -उत्तरी कोयल घाटी के कृषि प्रदेश
संबंधित जिला-गढ़वा , पलामू , लातेहार तथा चतरा
महत्वपूर्ण बातें -इस क्षेत्र की प्रमुख फसल धान है अन्य फसलों में चना , मक्का , अरहर , तिलहन आदि की खेती की जाती है ।
2.दामोदर घाटी के कृषि प्रदेश पूर्वी लातेहार , दक्षिणी चतरा , दक्षिणी हजारीबाग , बोकारो तथा धनबाद संपूर्ण क्षेत्र में गोंडवाना क्रम के चट्टानों की प्रधानता है । धान , मक्का , दलहन और तिलहन इस क्षेत्र की प्रमुख फसलें हैं ।
3.निचली स्वर्णरेखा घाटी के कृषि प्रदेश पूर्वी सिंहभूम तथा सरायकेला का पूर्वी भाग इस क्षेत्र की प्रमुख फसल धान एवं सब्जियाँ हैं । इस क्षेत्र में बहुफसली खेती का विकास हुआ है।
4.चाईबासा के मैदान व समीपवर्ती उच्च भूमि का कृषि प्रदेश पश्चिमी सिंहभूम तथा पूर्वी सरायकेला क्षेत्र में फैला हुआ है यहाँ 110-140 सेमी तक औसत वर्षा होती है तथा यहाँ धान , मक्का व चना की कृषि की जाती है । यहाँ की भूमि धात्विक गुणों से युक्त है ।
5.राजमहल पहाड़ी व सीमावर्ती क्षेत्रों के कृषि प्रदेश
दक्षिणी साहेबगंज , दक्षिणी पाकुद , गोहडा , दुमका , देवपर तथा जामताड़ा यहाँ औसतन 100-130 सेमी , राक या होती है तथा पान यहाँ की प्रमुख . कृषि प्रवेश संबंधित जिला महत्वपूर्ण बातें . कृषि प्रवेश संबंधित जिला महत्वपूर्ण बातें . कृषि प्रवेश संबंधित जिला महत्वपूर्ण बाते
6.रांची पठार का कृषि प्रदेश
रॉची , पूर्वी लोहरदगा , गुमला एवं सिमडेगा यहाँ औसतन 120-130 सेमी . तक वर्षा होती है तथा यहाँ मुख्यत : सब्जियों के रूप में नकदी फसल की खेती की जाती है । यहाँ की दोन भूमि में धान तथा टाँद भूमि में रागी , तिलहन , दलहन य फल की खेती की जाती है ।
7.हजारीबाग पठार के कृषि प्रदेश
चतरा , हजारीबाग , गिरिडीह गया कोडरमा यहाँ पान , मका या रागी की खेती की जाती है । इस क्षेत्र में कृषि कार्यों का सीमित विकास हुआ है ।
8.उत्तरी - पूर्वी सीमांत का कृषि प्रदेश
उत्तरी गोड्डा तथा साहेबगंज का उत्तरी - पूर्वी भाग यहाँ 150-160सेमी . तक औसत वर्षा होती है तथा यहाँ धान , गेहूँ , मक्का , चना व दलहन की कृषि की जाती है । यह कृषि की दृष्टि से राज्य का एकमात्र विकसित क्षेत्र है तथा यहाँ बहुफसली कृषि की उत्तम व्यवस्था है ।
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झारखण्ड की कृषि, notes [Agriculture of Jharkhand]
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